A Simple Key For sidh kunjika Unveiled
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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
ओं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
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दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी read more ।